विद्युत का काम करने का सिद्धांत विद्युत शक्ति के परिवर्तन और उपयोग से संबंधित है। विद्युत का आधारिक सिद्धांत यह है कि विद्युत धारा की गति विद्युतीय विषाद (वोल्टेज) के फर्क (वोल्ट) को परिभाषित करता है। विद्युत धारा विद्युतीय विषाद के इस फर्क के प्रति उत्तेजन द्वारा बनाई जाती है।

विद्युतीय धारा का दो प्रमुख प्रकार होता है:

बदलता धारा (AC): इसमें धारा का दिशा कानूनी रूप से निरंतर बदलता है, जो विद्युतीय विषाद के संग्रहण और उपयोग के लिए अधिक उपयुक्त होता है।
स्थिर धारा (DC): इसमें धारा का दिशा स्थिर रहता है और यह अक्सर बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग के लिए होता है।
इसके अलावा, विद्युत शक्ति के उत्पन्न होने के लिए विभिन्न स्रोत होते हैं, जैसे कि बिजली उत्पादन संयंत्रों (जैसे कि जल ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, और आधुनिक ऊर्जा स्रोत), और विद्युत ऊर्जा के परिवहन और उपयोग के लिए विद्युत संयंत्रों के विभिन्न प्रकार के उपकरण।

संक्षेप में, विद्युत कार्य का अंतिम उद्देश्य विद्युत शक्ति को उपयोगिता में बदलना होता है, जिससे हम उपकरणों, मशीनों, और अन्य उपयोगों को संचालित कर सकते हैं।








1. विधुत फ्यूज विधुत धारा के किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?

     उष्मीय

2. एक किलोवाट-घंटा किसके बराबर होता है ?

     3.6 × 10⁶ जूल           

3. विधुत घंटी किस प्रभाव पर कार्य करती है ?

     चुंबकीय प्रभाव

4. लघुपथन के समय परिपथ में विधुत धारा का मान होता है –

     बहुत अधिक बढ़ जाता है 

5. डायनेमो का सिद्धान्त आधारित है ?

     विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर   

6. डायनेमो से किस प्रकार की धारा प्राप्त होती है ?

     दोनों धाराएँ          

7. विधुत बल्ब में कौन सी गैस भरी रहती है – 

     निष्कर्षीय गैस भरी होती है

8. भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विधुत धारा की आवृत्ति होती है –

     50 Hz

9. हमारे देश में विद्युन्मय तार एवं उदासीन तार के बीच कितना विभवांतर होता है ?

     220 v

10. विधुन्मय तार किस रंग का होता है ?

     लाल

Science Class 10th MCQ VVI Objective Question Answer